UPSC में लेटरल एंट्री स्कीम को लेकर हाल ही में काफी चर्चा हुई है। इस योजना के द्वरा केंद्रीय मंत्रालयों में उच्चस्तरीय पदों पर सीधी भर्ती की जा सकती है। इस स्कीम का नोटिफिकेशन हाल ही में जारी किया गया था, जिसमें संयुक्त सचिव और निदेशक जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर भर्ती का प्रस्ताव था। हालांकि, इस योजना के निकलने के कुछ दिन के अंदर ही भारी विरोध के चलते सरकार ने यूपीएससी को भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने का आदेश केंद्र सरकार द्वारा दिया गया। आइए जानते हैं इस स्कीम के बारे में विस्तार से।
UPSC लेटरल एंट्री स्कीम क्या है?
UPSC लेटरल एंट्री स्कीम के द्वारा केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में प्राइवेट सेक्टर के विशेषज्ञों की सीधी भर्ती की जाती है। इस स्कीम के तहत संयुक्त सचिव, निदेशक और डिप्टी डायरेक्टर जैसे उच्च पदों पर भर्ती होती है। यह भर्ती यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा के बिना होती है और सीधी भर्ती के आधार पर होती है।
इस स्कीम के लिए उम्मीदवारों को निजी क्षेत्र में कम से कम 15 साल का कार्य अनुभव होना जरुरी है। इसके अलावा, आवेदनकर्ता की उम्र 45 वर्ष तक होनी चाहिए और किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से संबंधित क्षेत्र में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
लेटरल एंट्री स्कीम के तहत UPSC भर्ती की प्रक्रिया
लेटरल एंट्री स्कीम के द्वारा चयन किए गए उम्मीदवारों को आमतौर पर तीन साल के अनुबंध पर नियुक्त किया जाता है। इस अनुबंध की अवधि प्रदर्शन और विभाग की आवश्यकता के आधार पर पांच साल तक बढ़ाई जा सकती है। इस प्रकार की भर्ती से संबंधित पदों पर नियुक्ति के बाद, इन अधिकारियों को अपनी दक्षताओं और अनुभव के आधार पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाती हैं।
विवाद और सरकार की प्रतिक्रिया
कुछ दिन पहले यूपीएससी द्वारा जारी किए गए भर्ती विज्ञापन में 45 रिक्त पदों के लिए लेटरल एंट्री का प्रावधान किया गया था। इसमें संयुक्त सचिव और निदेशक जैसे बड़े पद शामिल थे। इस भर्ती का विवाद बढ़ने पर सरकार ने यूपीएससी को एक पत्र भेजकर भर्ती को रद्द करने का निर्देश दिया। कार्मिक और लोक शिकायत मंत्रालय की ओर से भेजे गए इस पत्र में बताया गया कि यह स्कीम 2014 से पहले यूपीए सरकार द्वारा लागू की गई थी और इसमें आरक्षण के प्रावधानों के अनुसार बदलाव की आवश्यकता है।
UPSC लेटरल एंट्री स्कीम के लाभ और चुनौतियाँ
लेटरल एंट्री स्कीम का मुख्य उद्देश्य सरकारी मंत्रालयों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों से सेवा लेना है, जो विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता और अनुभव रखते हैं। इससे सरकारी कार्यप्रणाली में नयापन और दक्षता आने की संभावना होती है।
हालांकि, इस योजना के विरोध के वजह से कुछ मुद्दे भी उठे हैं। इसके अंतर्गत आने वाले प्रावधानों और प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और आरक्षण के नियमों का पालन करने की जरुरत है। सरकारी आदेशों के बाद, इस योजना को आरक्षण और अन्य संबंधित प्रावधानों के अनुसार समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है।
वैसे यूपीएससी की लेटरल एंट्री स्कीम एक महत्वाकांक्षी सरकारी योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य सरकारी मंत्रालयों में निजी क्षेत्र के अनुभवी लोगों की भर्ती करना है। इस स्कीम के तहत उच्च स्तर के पदों पर सीधी भर्ती की जाती है, जिससे सरकारी सेवाओं में विशेषज्ञता और कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, इस योजना के विवाद और सरकार की प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इसके कार्यान्वयन में और सुधार की आवश्यकता है। आगे आने वाले समय में इस योजना को अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं।
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